ग़ज़ल
दिल की हालत न पूछिए साहब
ये हकीक़त न पूछिए साहब
अश्क आँखों में आ ही जायेंगे
गम की लज्ज़त न पूछिए साहब
जिसने बर्बाद कर दिया आखिर
वो ही आदत न पूछिए साहब
लूटने वाले कम नहीं लेकिन
दिल की दौलत न पूछिए साहब
खामखाँ आप टूट जायेंगे
राज़-ए-उल्फत न पूछिए साहब
ज़र्रा ज़र्रा वजूद रखता है
उसकी कुदरत न पूछिए साहब
विलास पंडित "मुसाफ़िर"
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