सोमवार, अप्रैल 19, 2010

ग़ज़ल
दिल की हालत पूछिए साहब
ये हकीक़त पूछिए साहब

अश्क आँखों में ही जायेंगे
गम की लज्ज़त पूछिए साहब

जिसने बर्बाद कर दिया आखिर
वो ही आदत पूछिए साहब

लूटने वाले कम नहीं लेकिन
दिल की दौलत पूछिए साहब

खामखाँ आप टूट जायेंगे
राज़--उल्फत पूछिए साहब

ज़र्रा ज़र्रा वजूद रखता है
उसकी कुदरत पूछिए साहब

विलास पंडित "मुसाफ़िर"

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