अपनी धुन में गा लेता हूँ
दिल को यूँ बहला लेता हूँ
कभी तो क़िस्मत साथ में होगी
ख़ुद को मैं समझा लेता हूँ
दोस्त मिले गर कोई पुराना
मिलकर प्यास बुझा लेता हूँ
बीते दौर की तस्वीरों को
अपना हाल सुना लेता हूँ
दिल भी है इक बच्चे जैसा
बातों में उलझा लेता हूँ
फूलों को आख़िर मत छूना
कांटो से वादा लेता हूँ
चार ही कांधे, चार ही दोस्त
बाक़ी बोझ उठा लेता हूँ
मुसाफ़िर

चार ही कांधे, चार ही दोस्त
जवाब देंहटाएंबाक़ी बोझ उठा लेता हूँ
खूबसूरत गज़ल ..
बीते दौर की तस्वीरों को
जवाब देंहटाएंअपना हाल सुना लेता हूँ
दिल भी है इक बच्चे जैसा
बातों में उलझा लेता हूँ
लाजवाब ग़ज़ल।
कभी तो क़िस्मत साथ में होगी
जवाब देंहटाएंख़ुद को मैं समझा लेता हूँ
बहुत ख़ूब !!!!!!!
gajal ...is a right feeling , fruitful for heartless,tasteful for every one .Its a right
जवाब देंहटाएंchoice sir . Thanks .
दिल भी है इक बच्चे जैसा
जवाब देंहटाएंबातों में उलझा लेता हूँ
क्या बात है...
दिल भी है इक बच्चे जैसा
जवाब देंहटाएंबातों में उलझा लेता हूँ
---सुन्दर भावपूर्ण रचना......
चार ही कांधे, चार ही दोस्त
जवाब देंहटाएंबाक़ी बोझ उठा लेता हूँ ...
बहुत ख़ूबसूरत गज़ल..
चार ही कांधे, चार ही दोस्त
जवाब देंहटाएंबाक़ी बोझ उठा लेता हूँ
-बहुत गज़ब...वाह! बधाई...