आ भी जा, मुझको ज़रा सा शाद कर दे
दिल की वीरान महफ़िलें आबाद कर दे
तुझको पाने का जुनूं है, कम न होगा
तू मुझे बदनाम क्या, बरबाद कर दे
इक मेरी तुझसे गुज़ारिश है ख़ुदा
फ़ूल को इस दौर में फ़ौलाद कर दे
जो भी उड़ने का हुनर भूले नहीं
ऐसे पंछी क़ैद से आज़ाद कर दे
हौसला मेरा पहाड़ों का सा है
दुश्मनों की चाहे जो तादाद कर दे
इश्क़ है तो वस्ल के लम्हे भी हों
इक ज़रा अल्लाह से फ़रियाद कर दे
वो "मुसाफिर" के सिवा अब कौन है
जो वफ़ा को, प्यार को रूदाद कर दे
मुसाफ़िर