शुक्रवार, अगस्त 26, 2011

एक गीतनुमा ग़ज़ल आपके लिए ....


कह रहा हूँ अपने दिल की बात तुमसे 
चाहता हूँ बस मैं इक सौग़ात तुमसे

सोचता हूँ कब मिलेंगे ज़िन्दगी में  
वस्ल के अनमोल कुछ लम्हात तुमसे

क्या ये हक़ चाहत में मुझको है सनम 
मांग लूँ मैं बस तुम्हारा हाथ तुमसे 

क्यूं न हो बारिश हज़ारों रंग की 
जुड़ गए हैं अब सभी जज़्बात तुमसे 

तुम समझने की ज़रा कोशिश करो 
कह रहे हैं कुछ  मेरे हालात तुमसे 

शुक्रवार, अगस्त 05, 2011

आंसुओं से भीगी हुई एक ग़ज़ल .......





ग़म के मंज़र ग़म की राहें, अब नहीं 
ज़िन्दगी तेरी पनाहें , अब नहीं 

मेरे शेरों में नहीं अब लज्ज़तें 
आप मुझको क्यूं सराहें, अब नहीं 

दम मेरा घुटता है सीने में बहोत 
हाय वो आंसूं वो आहें, अब नहीं  

ख़ुद को ही अब क़त्ल करना है मुझे 
आपकी कातिल निगाहें, अब नहीं 

मौत की आगोश मिल जाए फ़क़त 
आपकी मखमल सी बाहें, अब नहीं 

ख़ुद ही करना है अब ख़ुद का फ़ैसला
दोस्तों की कुछ सलाहें, अब नहीं

मुसाफ़िर