रविवार, अप्रैल 11, 2010

एक ख़त आपके नाम,
हे आई.पी. एल. क्रिकेट के धनाढ्य मालिकों, आपकी क्रिकेट के लिए दीवानगी का मैं बहोत शुक्रगुज़ार हूँ, मगर येकुछ दिनों का खेल और इसका जुनून भी कुछ दिनों तक ही सीमित रहता है, मेरी आपसे एक छोटी सी गुज़ारिश हैकि जब एक एक बल्लेबाज़ का एक एक रन लाखों रूपये का और एक एक बॉलर की एक एक गेंद भी उसी कीमतकी है, तो इस पर थोडा विचार करना भी ज़रूरी है, क्या इतने पैसों का ऐसा दुरुपयोग ज़रूरी है ? माना कि ये महज़चंद घंटों का मज़ा है,लेकिन क्या ये मज़ा हमारे देश के भूके लोगो की भूक से बड़ा है ?
ज़रा उन गरीबों के घर में झांक कर उनकी भी ज़िन्दगी के असली मेच को देखिये जहां सिर्फ दो वक़्त क़ी रोटी केलिए कितने सस्ते में उन्हें ये मेच रोजाना खेलना होता है, माना ये मेच मज़ा नहीं देता पर इस असली मेच कोनज़रंदाज़ करना भी हमारी बड़ी भूल ही कही जायेगी, जहां एक एक गरीब बच्चा दो जून क़ी रोटी का मोहताज हो, वहाँ ऐसे आई।पी.एल. हमारी किस मानसिकता के परिचायक हो सकते हैं, जब देश सर्वोपरी है तो उसके बाद देशका नागरिक भी अपना अस्तित्व रखता है, मगर विडम्बना ये है कि इस पर कोई राजनेता कभी कोई अच्छी पहलनहीं कर सका। मगर आप लोग तो इस बात पर गौर कर ही सकते हैं, क्यूंकि आप राजनीतिक मानसिकता तोहरगिज नहीं रखते, मैं इस लायक नहीं हूँ कि आप जैसे विद्वानों को कोई राय दे सकूँ मगर इतनी अपेक्षा तो ज़रूरकर सकता हूँ कि मेरे इस प्राक्कथन पर गौर ज़रूर करेंगे, आप जैसे कर्णधारों ने देश कि आर्थिक स्थिति को जिसतरह मज़बूत किया है, वहीं हमारे देश की गरीबी और बेकारी पर भी आप सोचलें तो निश्चित ही इस देश का थोडाबहोत उद्धार तो अवश्य ही हो सकता है, जिस देश में महंगाई ने उच्च मध्यमवर्गीय परिवारों की कमर तोड़ रखी हो, वहाँ गरीब किस हाल में होंगे आप निश्चित ही समझ सकते हैं , आप आई,पी,एल, करा सकते हैं तो इन गरीबों केलिए भी कुछ करेंगे तो आप को इतिहास और ईश्वर दोनों की नज़रों में जो सम्मान मिलेगा, उसका मोल आपस्वयं समझ सकते हैं, केवल एक खिलाडी की कीमत पर किसी शहर की चंद बस्तियों पर आप इतना खर्च करेंगे तोनिश्चित ही है की वहाँ के हालात ज़रूर ही बदल सकते हैं, और जब हमारा समाज समृद्ध हो तब ये सारे आई,पी,एल, हमें वो मज़ा देंगे जिनकी कल्पना आप स्वयं भी कर सकते हैं।
मेरा आप सभी से निवेदन है कि एक बार सिर्फ एक बार इस पर भी विचार करके ज़रूर देखें, यकीनन नतीजे बहोतबेहतर हो सकते हैं , कोई गलती हो तो क्षमा चाहूँगा।

विलास पंडित

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