सोमवार, मार्च 07, 2011

हे ईश्वर...........

मुझे बख्श दी तूने ज़िन्दगी, तू बड़ा रहीमो-करीम है
मेरी राह में  तेरी रोशनी, तू बड़ा रहीमो-करीम है.

ये तेरे करम का कमाल है, जो फिजां में ऐसा जमाल है
है शबाब पर ये कली-कली, तू बड़ा रहीमो-करीम है

मेरे लब पे तेरा ही नाम हो, तेरे नाम से मुझे काम हो 
ये क़ुबूल कर मेरी बंदगी, तू बड़ा रहीमो-करीम है 

जिसे चाहे रहने को घरभी दे, जिसे चाहे ऊँचा नगर भी दे 
मैं तो पाके ख़ुश हूँ ये दश्त ही, तू बड़ा रहीमो-करीम है 

तेरी गाह में ही पड़ा रहूँ, सदा नेकियों से जुड़ा रहूँ
तेरे नाम हो मेरी शायरी, तू बड़ा रहीमो-करीम है 

मेरी ज़ीस्त में यही बात हो, मेरे सर पे तेरा ही हाथ हो 
मेरी आरज़ू ये है आखरी, तू बड़ा रहीमो करीम है 


विलास पंडित "मुसाफिर"

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