मुझे बख्श दी तूने ज़िन्दगी, तू बड़ा रहीमो-करीम है
मेरी राह में तेरी रोशनी, तू बड़ा रहीमो-करीम है.
ये तेरे करम का कमाल है, जो फिजां में ऐसा जमाल है
है शबाब पर ये कली-कली, तू बड़ा रहीमो-करीम है
मेरे लब पे तेरा ही नाम हो, तेरे नाम से मुझे काम हो
ये क़ुबूल कर मेरी बंदगी, तू बड़ा रहीमो-करीम है
जिसे चाहे रहने को घरभी दे, जिसे चाहे ऊँचा नगर भी दे
मैं तो पाके ख़ुश हूँ ये दश्त ही, तू बड़ा रहीमो-करीम है
तेरी गाह में ही पड़ा रहूँ, सदा नेकियों से जुड़ा रहूँ
तेरे नाम हो मेरी शायरी, तू बड़ा रहीमो-करीम है
मेरी ज़ीस्त में यही बात हो, मेरे सर पे तेरा ही हाथ हो
मेरी आरज़ू ये है आखरी, तू बड़ा रहीमो करीम है
विलास पंडित "मुसाफिर"
वाह बहुत सुन्दर आरज़ू है।
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