घर मेरे खुशियों को लाया कौन है
खुशबूएं महकी हैं, आया कौन है.
सादा पानी सारा अमरित हो गया
आबशारों में नहाया कौन है.
सब्र लूटा, चैन छीना, नींद भी
ये बता दे, ऐ खुदाया कौन है
अपने ही मन की फ़क़त करता है वो
जिस्म के भीतर समाया कौन है
दिलके सब कमरे भी कम पड़ने लगे
गठरियाँ ग़म की ये लाया कौन है
कितने दिल महफिल में बिखरे देखिये
आज की महफ़िल में गाया कौन है
हाथ में सूरज के है ये फैसला
जिस्म है अब कौन, साया कौन है
ना तो कोई ख्वाब है, ना है उमीद
रात भर जिसने जगाया कौन है
तै नहीं कर पाया अब तक दोस्तों
कौन है अपना, पराया कौन है
आज के इस दौर का तो वो नहीं
जिसने हर वादा निभाया कौन है
सोचता हूँ वो "मुसाफ़िर" तो नहीं
हर कदम पर आज़माया, कौन है
विलास पंडित "मुसाफ़िर"
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