जीवन है पल पल की उलझन, किस किस पल की बात करें
इन लम्हों को भूल के हम तुम गीत - ग़ज़ल की बात करें
रोज़ ही पीना, रोज़ पिलाना . रोज़ ग़मों से टकराना
इक दिन मय को भूल के आओ, गंगा जल की बात करें
सौ बरसों के इस जीने से हासिल क्या हो पायेगा
जिसने दिल को खुशियाँ दी हों, उस इक पल की बात करें
क्या पाया है भीड़ में खोकर, क्या पाया तन्हाई में
आओ यारों इन रस्मों के फेर-बदल की बात करें
आज वफ़ा की राह "मुसाफ़िर" धुंधली धुंधली लगती है
कोहरा जिसने बरसाया है, उस बादल की बात करें
विलास पंडित " मुसाफिर"
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क्या पाया है भीड़ में खोकर, क्या पाया तन्हाई में
जवाब देंहटाएंआओ यारों इन रस्मों के फेर-बदल की बात करें
अच्छी ग़ज़ल के अच्छे अश`आर में
ये शेर बहुत अच्छा लगा .... !
अच्छी ग़ज़ल.सभी शेर अच्छे.
जवाब देंहटाएंसौ बरसों के इस जीने से हासिल क्या हो पायेगा
जवाब देंहटाएंजिसने दिल को खुशियाँ दी हों, उस इक पल की बात करें
bahut khoobasoorat gazal..