अब बोझ हर सवाल का ढोया न जायेगा
महफ़िल से उठके चल दिए दिल टूटने के बाद
हमसे तुम्हारे सामने रोया न जायेगा
अश्कों से तुम खुतूत को धोया करो मगर
लिक्खा हुआ नसीब का धोया न जायेगा
तूफ़ान-ए-ग़म में आज हरेक शख्स असीर
नफ़रत का बीज अब कहीं बोया न जायेगा
लेकर ग़मों की धूल को आँखों में,इस तरह
हमसे तेरे ख़याल में खोया न जायेगा
कहती है आज मौत "मुसाफ़िर" तेरे बगैर
इस शाम -ए-बेचराग में सोया न जायेगा
विलास पंडित "मुसाफ़िर "
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