रविवार, सितंबर 12, 2010

Ghazal

गीत के, ग़ज़लों के मौज़ू हैं बहोत

आपकी बातों में जादू हैं बहोत

हम तो हैं मशहूर पागल प्यार में

आपके चर्चे भी हरसू हैं बहोत

काश इक दरिया मुझे सूखा मिले

आजकल आँखों में आंसू हैं बहोत

हों भले ही ख्वाब में दीदार हों

सुन रखा है आप दिल्ज़ू हैं बहोत

सरफरोशी का जुनूं रखते है हम

सर बहोत हैं, और बाज़ू हैं बहोत

जो भी है दिल में उसे खुलके कहो

आपकी बातों में पेहलू हैं बहोत

वो चमन की सैर आखिर कर गए

हाँ सभी फूलों में खुशबू हैं बहोत

फिक्र मेरी ऐ "मुसाफिर" छोड़ दे

इन दिनों जज़बात काबू हैं बहोत

विलास पंडित "मुसाफिर"

(c) copyright by :Musafir


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