दुश्मनों से दिल मिलाना सीखिए
वरना ये तन्हाई तो डस जायेगी
घर किसी के आना जाना सीखिए
झोलियाँ खुशियों से भरना आ गईं
बोझ ग़म का भी उठाना सीखिए
है बहोत आसां ज़माने का चलन
ख़ुद सिखाता है ज़माना सीखिए
वस्ल क्या है, प्यार क्या सिखलाऊंगा
आप थोड़ा पास आना सीखिए
होगी दुनिया आपके कदमों तले
बस ज़रा ये सर झुकाना सीखिए
विलास पंडित "मुसाफ़िर"
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वरना ये तन्हाई तो डस जायेगी
जवाब देंहटाएंघर किसी के आना जाना सीखिए
वाह !
तन्हाई के आलम से बच पाने का ख़ास नुस्खा ...
और ,, इस "घर" का जवाब नहीं जनाब
...
झोलियाँ खुशियों से भरना आ गईं
बोझ ग़म का भी उठाना सीखिए
सही फरमाया आपने ...
यही सोच होनी भी चाहिए ...
ग़ज़ल में आपकी अपनी इनफ्रादियत झलक रही है
मुबारकबाद .
वरना ये तन्हाई तो डस जायेगी
जवाब देंहटाएंघर किसी के आना जाना सीखिए
होगी दुनिया आपके कदमों तले
बस ज़रा ये सर झुकाना सीखिए
बहुत ख़ूब !
बेहद उम्दा अश’आर !
दानिश साहेब, इस्मत जी, आप जैसे कद्रदानो का बेहद शुक्रिया.
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