अपनी धुन में गा लेता हूँ
दिल को यूँ बहला लेता हूँ
कभी तो क़िस्मत साथ में होगी
ख़ुद को मैं समझा लेता हूँ
दोस्त मिले गर कोई पुराना
मिलकर प्यास बुझा लेता हूँ
बीते दौर की तस्वीरों को
अपना हाल सुना लेता हूँ
दिल भी है इक बच्चे जैसा
बातों में उलझा लेता हूँ
फूलों को आख़िर मत छूना
कांटो से वादा लेता हूँ
चार ही कांधे, चार ही दोस्त
बाक़ी बोझ उठा लेता हूँ
मुसाफ़िर
