जिसने साथ निभाया है
वो मेरा हमसाया है ....
ग़ैर नहीं भाई है मेरा
हिस्सा लेने आया है
टूटके फिरसे खिलने का गुर
फूलों ने सिखलाया है
जाने किसने साथ निभाया
जब जब दिल घबराया है
मेरी जानिब गर कुछ है तो
यादों का सरमाया है
इन्सां इन्सां -पत्थर पत्थर
शहरों शहरों पाया है
अपनी सोच को ऊँचा रखना
ख़्वाबों ने बतलाया है
मुसाफ़िर.......
