ग़ज़ल
हंसाया गया हूँ , रुलाया गया हूँ
खिलौना मुनासिब बनाया गया हूँ
इंसान हूँ तो तारुफ़ है मेरा
अफसाना हूँ मैं सुनाया गया हूँ
गरजमंद था मुझसे हर शख्स ज्यादा
तेरे दर पे जब में खुदाया गया हूँ।
ऐ लहरों मुहब्बत के बारे में सोचो
वही नाम हूँ जो मिटाया गया हूँ
रिश्तों के कांटे बिछे थे जहां पर
मैं उस राह पर ही सुलाया गया हूँ
मैं जिंदा था जब किसी ने न पूछा
बाद मरने के आखिर सजाया गया हूँ
विलास पंडित "मुसाफ़िर"
इंसान हूँ तो तारुफ़ है मेरा
जवाब देंहटाएंअफसाना हूँ मैं सुनाया गया हूँ
सुन्दर ....
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