ज़हर है, या के दवा है, क्या है
भर के पैमाना दिया है, क्या है
तेज़ लपटों को देखने वालों
सिर्फ़ धुआं सा उठा है, क्या है
क़ैद हैं अब भी अनगिनत पंछी
इक परिंदा ही उड़ा है, क्या है
है ख़ुशी, वार सामने से किया
तीर सीने में लगा है, क्या है
घर में बर्तन जो हैं, तो खनकेंगे
भीड़ क्यूं इतनी जमा है, क्या है
मुसाफ़िर
क़ैद हैं अब भी अनगिनत पंछी
जवाब देंहटाएंइक परिंदा ही उड़ा है, क्या है
सभी के लिए स्वच्छंद उड़ान जरूरी...,
बढ़िया
बहुत खूबसूरत गजल
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 11-10 -2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....शाम है धुआँ धुआँ और गूंगा चाँद । .
बढियां गजल..
जवाब देंहटाएं:-)
है ख़ुशी, वार सामने से किया
जवाब देंहटाएंतीर सीने में लगा है, क्या है !
घर में बर्तन जो हैं, तो खनकेंगे
भीड़ क्यूं इतनी जमा है, क्या है !
बहुत खूब...!
जो हम घायल हुए तो....क्या है..??
घर में बर्तन जो हैं, तो खनकेंगे
जवाब देंहटाएंभीड़ क्यूं इतनी जमा है, क्या है
Wah..Wah Behtareen
आप सभी का दिल से शुक्रगुजार हूँ ...
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