tag:blogger.com,1999:blog-5105918984115570896.post1033389662399630925..comments2023-11-03T06:34:11.652-07:00Comments on Vilas Pandit - A Ghazal Writer: ग़ज़ल !!!!!Vilas Pandithttp://www.blogger.com/profile/07773945104320028696noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5105918984115570896.post-86131637595901508582011-05-03T09:04:13.071-07:002011-05-03T09:04:13.071-07:00कहीं ग़म की घटा काली, कहीं खुशियों की रंगीनी
ये पर...कहीं ग़म की घटा काली, कहीं खुशियों की रंगीनी<br />ये पर्दा ज़िन्दगी का भी सिनेमा सा रुपहला है<br />ज़िंदगी का फलसफा ... बहुत अच्छी गज़ल ।रजनीश तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/10545458923376138675noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5105918984115570896.post-42595053349444717662011-05-03T07:33:29.977-07:002011-05-03T07:33:29.977-07:00सियासत दां है वो आख़िर उसे क्या फ़र्क पड़ता है
भले...सियासत दां है वो आख़िर उसे क्या फ़र्क पड़ता है<br />भले अन्दर से हो काला, मगर बाहर से उजला है<br />...<br />बहुत ख़ूबसूरत गज़ल..हरेक शेर बहुत सटीक और उम्दा..आभारKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5105918984115570896.post-36374441931503198212011-05-03T05:47:35.111-07:002011-05-03T05:47:35.111-07:00आदरणीय श्रीविलासजी,
बहुत खूब। बहुत बधाई।
मैं ये ...आदरणीय श्रीविलासजी,<br /><br />बहुत खूब। बहुत बधाई।<br /><br />मैं ये ही सोचता था, कोई भी क़ाबिल नहीं मुझसा<br />मगर देखा जिसे वो ही यहां नहले पे देहला है।<br /><br />॥ सः त्वां मां (च) अन्तरा स्वपिति ॥<br /><br />वह तुम्हारे और मेरे बीच में बैठा है। (ईश्वर?)<br /><br />मार्कण्ड दवे।<br />http://mktvfilms.blogspot.comMarkand Davehttps://www.blogger.com/profile/17453483015065286737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5105918984115570896.post-41772190065154099552011-05-03T01:56:22.197-07:002011-05-03T01:56:22.197-07:00सियासत दां है वो आख़िर उसे क्या फ़र्क पड़ता है
भले...सियासत दां है वो आख़िर उसे क्या फ़र्क पड़ता है<br />भले अन्दर से हो काला, मगर बाहर से उजला है<br /><br />मैं ये ही सोचता था, कोई भी क़ाबिल नहीं मुझसा<br />मगर देखा जिसे वो ही यहां नहले पे देहला है<br /><br />कलियुग का सत्य इन पक्तियों में खूब अभिव्यक्ति हो रहा है !<br />अच्छी ग़ज़ल !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5105918984115570896.post-70316437826851258202011-05-01T08:02:58.154-07:002011-05-01T08:02:58.154-07:00कहीं ग़म की घटा काली, कहीं खुशियों की रंगीनी
ये पर...कहीं ग़म की घटा काली, कहीं खुशियों की रंगीनी<br />ये पर्दा ज़िन्दगी का भी सिनेमा सा रुपहला है<br /><br />सुंदर ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5105918984115570896.post-27885886923354299222011-05-01T07:11:19.499-07:002011-05-01T07:11:19.499-07:00खूबसूरत गज़ल ..खूबसूरत गज़ल ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5105918984115570896.post-90856349314263709302011-05-01T01:52:09.278-07:002011-05-01T01:52:09.278-07:00मैं ये ही सोचता था, कोई भी क़ाबिल नहीं मुझसा
मगर द...मैं ये ही सोचता था, कोई भी क़ाबिल नहीं मुझसा<br />मगर देखा जिसे वो ही यहां नहले पे देहला है bahut sunder...kavita vermahttps://www.blogger.com/profile/18281947916771992527noreply@blogger.com